Gita Updesh: जिंदगी मैं कभी भी कोई गलत फैसला लेने से पहले गीता के इन उपदेशों का रखें ध्यान, जीवन की हर परेशानी हो जाएंगे दूर
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जिंदगी मैं कभी भी कोई गलत फैसला लेने से पहले गीता के इन उपदेशों का रखें ध्यान, जीवन के हर कष्ट हो जाएंगे दूर
श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है. इसे भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को तब सुनाया था, जब अर्जुन का मन युद्ध से डगमगाने लगा था. इसे सुनकर ही अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार हुए थे.महाभारत के उस स्थान कुरुक्षेत्र में श्रीमद् भागवत गीता का लेख कृष्ण ने अर्जुन को स्मरण कराया व सुनाया था यह भागवत गीता सुनकर अर्जुन अपने सब मोह माया को त्याग कर युद्ध के लिए तत्पर व तैयार हो गए ये ये शिक्षाएं जीवन के हर पहलू पर गहन विचार प्रदान करती हैं तथा साथ ही आत्मज्ञान, धर्म, भक्ति, कर्म और योग की गहरी समझ भी प्रदान करती हैं। भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रन्थ है, बल्कि मानव जीवन के हर पहलू के लिए मार्गदर्शक भी है। जो व्यक्ति गीता के सार को अपने जीवन में अपनाता है, वह एक दिन सफल हो जाता है। जब आप कोई निर्णय लेने जा रहे हों तो गीता में लिखी इन बातों पर विचार करें।
जरूर करें आत्ममंथन
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, व्यक्ति को आत्ममंथन करना जरूर होता है. श्रीमद् भागवत गीता का ज्ञान लेने से व्यक्तियों में पाप कम होने की संभावना होती है और ज्ञान की दीपक व ज्योति जलती हैऐसा करने से व्यक्ति द्वारा गलतियाँ करने की संभावना कम हो जाती है। आत्मचिंतन निर्णयों को मजबूत बनाता है। ऐसे मामलों में हमेशा सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।
संयम का ध्यान रखें
भगवद्गीता के अनुसार, निर्णय लेते समय व्यक्ति को अपने मन और हृदय पर संयम रखना चाहिए, क्योंकि मन बहुत चंचल होता है। इसमें परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण गलत निर्णय लिए जा सकते हैं। जो व्यक्ति अपने आप पर नियंत्रण रखता है वह एक दिन सफल हो जाता है।
क्रोध में कभी निर्णय न लें
श्री कृष्ण कहते हैं कि क्रोधित व्यक्ति को निर्णय लेते समय ध्यान देने की आवश्यकता होती है। यह आवश्यक है क्योंकि क्रोधित व्यक्ति नियंत्रण खो देता है। इस वजह से लोग कभी-कभी गलत निर्णय ले लेते हैं। ऐसे में भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए गीता उपदेश की इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
कार्य के अनुसार मिलेगा पुरस्कार
श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा है कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सही मार्ग पर चलना चाहिए। सद्कर्म करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। निर्णय लेते समय इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए।